Thursday 8 May 2014

"ज्योतिषी भविष्यवाणी नहीं करता, बल्कि ग्रह स्वयं बोलते है|"

        "   ज्योतिषी भविष्यवाणी  नहीं करता, बल्कि ग्रह स्वयं बोलते है |" 

                                                                                     प्रिय ज्योतिष प्रेमियों ।
भारतीय ज्योतिष संस्थान  का प्रमुख उद्देश्य है जातक के जीवन मे बारम्बार आने वालि कठिनाइयों मुसीबतो के प्रति सावधान करते रह्ना । जातक के वर्तमान में एवं भविष्य  मे क्या क्या घटने वाले घटनाएं है जिसे पहले ही जान कर वह जातक अपने जीवन मे विशेष उपलब्धियों को पा सके और अमूल्य समय का सदुपयोग कर सके|
कहा जाता है "  ज्योतिष भविष्यवाणी  नहीं करता, बल्कि ग्रह स्वयं बोलते है| " 


यदि आपके मन मे भि ज्योतिष फळ जानने कि प्रबळ इच्छा है|

आपके मन मे भि विभिन्न प्रश्न है कि ………


१= आपके सन्तान किस क्षेत्र का चुनाव करे जिससे उनका भविष्य उज्ज्वल हो सके ?
२= आप कौन सा व्यापार करे, कि सफल हो सके ?
३= क्या भाईयों के सहयोग की प्राप्ति हो सकेगी ?
४= व्यापार मे बारम्बार हो रहे, नुकसान को कैसे रोंका जाये, नुकसान का काऱण क्या है?
५= आपकी  सन्तान  का विवाह कब होगा ? कौन है विवाह मे रुकावट ?
६= रोग का निदान कैसे होगा और कौन है रोग को उत्पन्न करने वाले ग्रह ?
७= विवाह के कई वर्ष बीत गये, किन्तु सन्तान सुख नहीं है ? कौन ग्रह बना कारण ?
८= भूमि -भवन एवं वाहन का योग कब है ? कौन है विलम्ब का कारण ?
९= ग्रह दोष का ज्ञान तो है, किन्तु इसके उपाय क्या है ? 
१०= ब्रह्म बाधाये क्या है ? कैसे प्रसन्न हो ये बाधा बने लोग ?
११= आय के किन किन श्रोतो को ग्रहण किया जाय ? जो शास्त्र सम्मत हो ?
१२= अतिरिक्त व्यय को कैसे रोका जाये ?

 नोट : उपरोक्त प्रश्नो के उत्तर एवं उनके उपायो के लिये ज्योतिषीय परामर्श यदि आप चाहते है|

           तो अपने जन्म कुण्डली अथवा जन्म तिथि प्रमाण पत्र की छाया प्रती हमारे कार्यालय में अंकित करवाये| आपने विशेष प्रश्न को आवेदन पत्र मे लिख कर जमा करे|
यदि आप जन्म कुंडली का निर्माण भृगु संघिता मिलान के पश्चात करवाना चाहते है| तो सविस्तार पूर्वक हमारी संस्थान  के योग्य विद्वानोँ दवारा १५ दिवस के अंदर लिख कर आपको दे दिया जायेगा|
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यंत्र को सिद्ध  करने के पश्चात हमारे योग्य विद्वान ब्राह्मणो द्वारा हि आपके ही वर्णित स्थान पर पहुंचाने  की व्यवस्था है| जिससे यंत्रो की ऊर्जा खण्डित ना हो और आपकों यन्त्र का पूर्ण लाभ मिल सके| 
            
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        भारतीय ज्योतिष संस्थान                                      भारतीय ज्योतिष संस्थान                                    
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Thursday 20 February 2014



राजनीति में सफलता के प्रभावशाली योग : राजयोग 


आइये देखते है राजनीति में सफलता के प्रभावशाली योग : राजयोग

राजनीति  कैरियर में प्रवेश करने वालों की कुंडली में राजयोग होते हैं| राजनीति में सफलता प्रदान करने वाले विभिन्न योग एवं उनके शुभ अशुभ प्रभाव|  निष्पक्ष राजनेता की कुंडली में उच्च ग्रहों का विशिष्ट संयोग होना आवश्यक है|

१=  जन्म कुंडली में दशम भाव को कर्म भाव कहा गया है| एक सफल राजनेता के पद प्राप्ति हेतु दशम भाव में शुभ राशि एवं बलवान ग्रह बैठना अनिवार्य है| भाग्येश का कर्मेश से मधुर सम्बन्ध स्थापित होने पर राजयोग बनता है| राजनेताओं की कुण्डली में राहु का संबध छठे, सांतवें, दशवें व ग्यारहवें भाव में शुभ ग्रहो से दृष्ट हो तो  सत्ता में भाग लेने के लिये अवसर प्रदान करता है| दशम भाव का सप्तम भाव- पदोन्नति एवं वर्चश्व ,षष्ठ भाव सेवा -दया -क्षमा से संबंध होने पर व्यक्ति राजनीति में सफलता प्राप्त करता है|

२=  सूर्य आत्मा कारक ग्रह है वंश परम्परा को उन्नत बनाने में सूर्य का बलवान होना आवश्यक है| राहु, शनि, सूर्य व मंगल की युति  एवं संबंध, दशम भाव -ग्यारहवे भाव में  राजनेता बनने के गुण प्रदान करता है| राहु को सभी ग्रहों में नीति कारक ग्रह का दर्जा दिया गया है, इसका प्रभाव राजनीति के भावो  से होना चाहिए| सूर्य राज्य कारक ग्रह की उपाधि दी गई है| सूर्य का दशम भाव  में स्वराशि या उच्च राशि में होकर स्थित होना व राहु का छठे भाव में  दसवें व ग्यारहवें दोनों भाव से संबध बने तो यह राजनीति में सफलता दिलाने की संभावना बनाता है| इस योग में दूसरे घर के स्वामी का प्रभाव भी आने से व्यक्ति अच्छा वक्ता बनता है| शनि दशम भाव में हो या दशमेश से संबध बनाये और इसी दसवें घर में मंगल भी स्थिति हो तो व्यक्ति समाज के  लोगों के हितों के लिये काम करने के लिये राजनीति में आता है| यहां शनि जनता के हितैशी है तथा मंगल पराक्रमेश हो कर जनता के  नेतृ्त्व का अधिकार दे रहा है|

३=  सूर्य के आत्म कारक बनने से व्यक्ति रुचि होने पर राजनीति के क्षेत्र में सफलता पाने की संभावना रखता है| राहु के प्रभाव से व्यक्ति नीतियों का निर्माण करना व उन्हें लागू करने की योग्यता रखता है| राहु के प्रभाव से ही व्यक्ति में स्थिति के अनुसार बात करने की योग्यता आती है| सूर्य आत्म कारक होकर व्यक्ति को समाज में उच्च पद की प्राप्ति का संकेत देता है| नौ ग्रहों में सूर्य को राजा का स्थान दिया गया है| अतः उच्चस्थ सूर्य राजयोग कारक ही सिद्ध होता है|

जन्म कुण्डली के योगों को नवाशं कुण्डली में देख निर्णय की पुष्टि की जाती है| किसी प्रकार का कोई संदेह न रहे इसके लिये जन्म कुण्डली के ग्रह प्रभाव समान या अधिक अच्छे रुप में बनने से इस क्षेत्र में दीर्घावधि की सफलता मिलती है| दशमाशं कुण्डली को सूक्ष्म अध्ययन के लिये देखा जाता है| तीनों में समान या अच्छे योग व्यक्ति को राजनीति की उंचाईयों पर लेकर जाते है|

५=  कुशल राजनेता के रूप में नेतृ्त्व करने वाले जातक का लग्न बली एवं सिंह राशि का होना आवश्यक होता है| सूर्य, चन्द्र, बुध व गुरु धन भाव में हों व छठे भाव में मंगल, ग्यारहवे घर में शनि, बारहवें घर में राहु व छठे घर में केतु हो तो एसे व्यक्ति को राजनीति विरासत में मिलती है| यह योग व्यक्ति को लम्बे समय तक शासन में रखता है| जिसके दौरान उसे लोकप्रियता व वैभव की प्राप्ति होती है| ये वंश परम्परा के अंतर्गत सीधे राजनेता चुन लिए जाते है|

६= मंगल एवं बुद्ध का बलवान होना एक अच्छा वक्ता के रूप में प्रतिष्ठित करता है| कर्क लग्न की कुण्डली में दशमेश मंगल दूसरे भाव में शनि लग्न में, छठे भाव में राहु, तथा लग्नेश की दृष्टि के साथ ही सूर्य-बुध पंचम या ग्यारहवें घर में हो तो व्यक्ति को यश की प्राप्ति होती| वृ्श्चिक लग्न की कुण्डली में लग्नेश बारहवे में गुरु से दृ्ष्ट हो शनि लाभ भाव में हो, राहु -चन्द्र चौथे घर में हो, शुक्र स्वराहि के सप्तम में लग्नेश से दृ्ष्ट हो तथा सूर्य ग्यारहवे घर के स्वामी के साथ युति कर शुभ स्थान में हो और साथ ही गुरु की दशम व दूसरे घर पर दृ्ष्टि हो तो व्यक्ति प्रखर व तेज राजनेता बनता है|

राजनैतिक जीवन काल में बारम्बार असफलता मिलने के विभिन्न कारण एवं उनके उपायो पर विस्तार से चर्चा परिचर्चा हेतु आचार्य विमल त्रिपाठी जी से आप स्वयं संपर्क कर सकते है|

                                                                              भृगु संघिता आचार्य विमल त्रिपाठी                                                                                   भारतीय ज्योतिष संस्थान                                                          सम्पर्क सूत्र :          ०९३३५७१०१४४        bhrigusanghita.simplesite.com


Saturday 15 February 2014

                                                   

जानिए भृगु संघिता में वर्णित कालसर्प दोष :

भृगुसंहिता सूत्र अध्याय ५५८३  में पितृ दोष का विस्तार पूर्वक वर्णन मिलता है| जिसे सामान्य ज्योतिष भाषा कालसर्प योग (काल सर्प दोषा) कहते है| काल सर्प दोष को इतना अधिक प्रचलन में ला दिया गया है कि जातक काल सर्प के नाम से अत्यंत भयभीत हो कर विचलित हो जाते है ग्रहों को अत्यंत हेय दृष्टि से देखते है| ध्यान रहे ग्रह नक्षत्र देवता के रूप में है, एवं पूज्यनीय है पितृ दोष (काल सर्प दोष )भी शुभ फल प्रदान करने वाले होते है| हमारे पूर्वज जिन्हे चन्द्र लोक में स्थान प्राप्त है| वे सभी अपने सन्तानो के दिए कव्य

( भोज्य पदार्थ ) को ग्रहण कर तृप्त हो जाते है और उनके सुखमय जीवन के हेतु आशीर्वाद प्रदान करते है| अज्ञानता वश जातक से पितरो कि अवहेलना हो जाने पर पितृ गण क्रोधित अवस्था में श्रापित कर देते है जिसके कारण से कालसर्प दोष के रूप में जातक अनेको कष्ट को भोगता है| इतना ही नहीं पितृ दोष वंशानुगत होते है| जातक के जन्म से ही पिता अथवा माता से हो कर आते है और आने वाली पीढ़ी पर ये दोष जन्म कुंडली में देखे जाते है|
कुण्डली में राहु और केतु की उपस्थिति के अनुसार व्यक्ति को कालसर्प योग (कालसर्प दोषा) लगता है. कालसर्प योग को अत्यंत अशुभ योग माना गया है. ज्योतिषशास्त्र के अनुसार यह योग जिस व्यक्ति की कुण्डली में होता है उसका पतन होता है.यह इस योग का एक पक्ष है
जबकि दूसरा पक्ष यह भी है कि यह योग व्यक्ति को अपने क्षेत्र में सर्वक्षेष्ठ बनता है।

कालसर्प योग (कालसर्प योगा) का प्राचीन ज्योतिषीय ग्रंथों में विशेष जिक्र नहीं आया है.तकरीबन सौ वर्ष पूर्व ज्योर्तिविदों ने इस योग को ढूंढ़ा.इस योग को हर प्रकार से पीड़ादायक और कष्टकारी बताया गया.आज बहुत से ज्योतिषी इस योग के दुष्प्रभाव का भय दिखाकर लोगों से काफी धन खर्च कराते हैं.ग्रहों की पीड़ा से बचने के लिए लोग खुशी खुशी धन खर्च भी करते हैं.परंतु सच्चाई यह है कि जैसे शनि महाराज सदा पीड़ा दायक नहीं होते उसी प्रकार राहु और केतु द्वारा निर्मित कालसर्प योग हमेंशा अशुभ फल ही नहीं देते.

अगर आपकी कुण्डली में कालसर्प योग (कालसर्प योगा) है और इसके कारण आप भयभीत हैं तो इस भय को मन से निकाल दीजिए.कालसर्प योग से भयाक्रात होने की आवश्यक्ता नहीं है क्योंकि ऐसे कई उदाहरण हैं जो यह प्रमाणित करते हैं कि इस योग ने व्यक्तियों को सफलता की ऊँचाईयों पर पहुंचाया है.कालसर्प योग से ग्रसित होने के बावजूद बुलंदियों पर पहुंचने वाले कई जाने माने नाम हैं जैसे धीरू भाई अम्बानी,इंदिरा गांधी ,मोरार जी देशाई, सचिन तेंदुलकर, ऋषिकेश मुखर्जी, पं. जवाहरलाल नेहरू, लता मंगेशकर आदि.

ज्योतिषशास्त्र कहता है कि राहु और केतु छाया ग्रह हैं जो सदैव एक दूसरे से सातवें भाव में होते हैं.जब सभी ग्रह क्रमवार से इन दोनों ग्रहों के बीच आ जाते हैं तब यह योग बनता है. राहु केतु शनि के समान क्रूर ग्रह माने जाते हैं और शनि के समान विचार रखने वाले होते हैं.राहु जिनकी कुण्डली में अनुकूल फल देने वाला होता है उन्हें कालसर्प योग में महान उपलब्धियां हासिल होती है.जैसे शनि की साढ़े साती व्यक्ति से परिश्रम करवाता है एवं उसके अंदर की कमियों को दूर करने की प्रेरणा देता है इसी प्रकार कालसर्प व्यक्ति को जुझारू, संघर्षशील और साहसी बनाता है.इस योग से प्रभावित व्यक्ति अपनी क्षमताओं का पूरा इस्तेमाल करता है और निरन्तर आगे बढ़ते जाते हैं.

कालसर्प योग में स्वराशि एवं उच्च राशि में स्थित गुरू, उच्च राशि का राहु, गजकेशरी योग, चतुर्थ केन्द्र विशेष लाभ प्रदान करने वाले होते है.अगर सकारात्मक दृष्टि से देखा जाए तो कालसर्प योग वाले व्यक्ति असाधारण प्रतिभा एवं व्यक्तित्व के धनी होते हैं.हो सकता है कि आपकी कुण्डली में मौजूद कालसर्प योग आपको भी महान हस्तियों के समान ऊँचाईयों पर ले जाये अत: निराशा और असफलता का भय मन से निकालकर सतत कोशिश करते रहें आपको कामयाबी जरूरी मिलेगी.इस योग में वही लोग पीछे रह जाते हैं जो निराशा और अकर्मण्य होते हैं परिश्रमी और लगनशील व्यक्तियों के लिए कलसर्प योग राजयोग देने वाला होता है.

कालसर्प योग (कालसर्प योगा) में त्रिक भाव एवं द्वितीय और अष्टम में राहु की उपस्थिति होने पर व्यक्ति को विशेष परेशानियों का सामना करना होता है परंतु ज्योतिषीय उपचार से इन्हें अनुकूल बनाया जा सकता है| भृगु संघिता में सूत्र अद्ध्याय ५५८३ में पितृ दोष का विस्तार पूर्वक समाधान मिलता है| जिस के प्रयोग से लाखो लोग लाभान्वित हो कर उज्ज्वल जीवनयापन कर रहे है| अतः जातक से अनुरोध है, कि आप काल सर्प दोष से न विचलित हो और ना ही भयभीत हो अपितु उसके साधारण उपायो को धारण कर जीवन के लक्ष्य को प्राप्त करे|
धन्यवाद !
आचार्य विमल त्रिपाठी
भारतीय ज्योतिष संस्थान
9335710144